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दिमाग में लगने वाली चीप
इंसानी जीवन को कितना बदल सकती है?
क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान और कंप्यूटर आने वाले भविष्य में एक ही सिस्टम के हिस्से बन सकते हैं। क्या सच मे हमारे दिमाग मे लगने वाली Neuralink chip हमारी दुनिया को बदलने वाली है। यह एक ऐसी चीप है जिसमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हमारे इंसानी दिमाग मे इम्प्लांट किया जाता है इसके बाद ये चीप लगा इंसान अगर कुछ सोचता है तो वह होने लगता है जैसे कंप्यूटर में कोई गेम बचल रहा है तो उसे बिना ऑपरेट किये हम अपने मन से सोच कर अपनी चाल चल सकते हैं या कोई वीडियो चल रहा है उसे भी हम अपने सोच से stop, play या नेक्स्ट कर सकते हैं। यानी हम अपनी सोच से इन मशीनी डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं। यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो साइंस फिक्शन से निकलकर हमारी हकीकत बनने के करीब है। Neuralink chip ये वही टेक्नोलॉजी है जिसे एलन मस्क की कंपनी द्वारा दुनिया के सामने लेकर आयी हैं। क्या इस Neuralink से इंसान का भविष्य बदल जायेगा और क्या इसके फायदे हमारी कल्पनाओं से परे है। ये सब आज हम बताएंगे इस पोस्ट में । Neuralink chip असल मे क्या है।

Neuralink chip क्या है।
यह सन 2016 में अमेरिका के जाने माने टेक्नोलॉजिस्ट व बिजनेस मैन एलन मस्क के 8 लोगो एक के टीम ने बनाई है। और ये टीम के ये 8 लोग अपने फील्ड के अच्छा जानकार और अपने फील्ड में मास्टर थे । जिसमें पहला नाम है Brain machine interface geek and biomedical engineer Max Hodak दूसरा नाम है MIT से PHD करने वाले Nuero surgen बेंजामिन रेपपोट, तीसरा नाम है दुनिया के सबसे पॉपुलर कंपनी Bosch में चिप इंजीनियर रह चुके । डंगजिन सियो चौथा नाम है, टॉप IT कंपनी IBM में चिप रिसर्चर पाऊल मोरेला पाँचवा नाम है Caltech Unversity के न्यूरो साइंटिस्ट फिलिप सेबस छठवां नाम है बोस्टन यूनिवर्सिटी के बायोलॉजी प्रोफेसर टेम ग्रांडनर सातवाँ नाम है फ्लेक्सिबल ब्रेन इलेक्ट्रोड पर रिसर्च करने वाले टीम हेनसन और आखरी नाम है न्यूरो टेक्नोलॉजिस्ट वेनेसा टोलोसा । एलन मस्क ने इस टीम के साथ Neuralink के प्रोजेक्ट को शुरू किया, जिसका उद्देश्य था ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस यानी BCI ( Brain machine interface ) यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी डिवाइस है जो दिमाग मे हो रहे , इलेक्ट्रिक एक्टिविटी या गतिविधि को किसी बाहरी कंप्यूटर या किसी मशीनी डिवाइस में कैंनेक्ट किया जाता है। जहाँ से दिमागी गतिबिधि को Observe किया जा सके। साधारण शब्दो मे समझा जाएं तो एलन मस्क की ये 8 टीम वाली कंपनी एक ऐसी चीप बनाने में लगी थी जिससे लकवा से ग्रस्त , और शारीरक रूप से दिव्यांग व्यक्ति भी आसानी से अपनी रोजमर्रा के काम कर सकेंगे। इस डिवाइस या चीप को जिसे न्यूरॉलिंक Brain इंटरफेस भी कहा जाता है।
Neuralink chip के इतिहास
Neuralink chip की शुरुआत 1970 के दशक से शुरु होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैल्फोर्निया लॉस एंजेल्स में जॉक विडाल नाम के व्यक्ति ने नेशनल साइंस फाउंडेशन से परमिशन लेकर इसकी शुरुआत की थी। जो 1973 में प्रकाशित हुई, जॉक विडाल का समाचार पेपर में पहली बार Brain Computer interface की पहचान हुई। जो आज एलन मस्क की कंपनी इंसानी दिमाग को समझने के लिये अंडरस्टैंडिंग द ब्रेन , इंटर फेसिंग द ब्रेन, और इंजीनियरिंग विद द ब्रेन के सिद्धांत पर कार्य कर रही है। साल 2023 में इसकी सफल ट्रायल के बाद Nueralink को इसके ह्यूमन ट्रायल यानी इंसानो पर इसकी ट्रायल करने की मंजूरी मांगी थी। और मई 2023 में अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने Neuralink को ह्यूमन ट्रायल करने के लिये मंजूरी दे दी। 21 मार्च 2024 को एलन मस्क का एक ट्वीट आता है कि Nueralink का ह्यूमन ट्रायल सफल हो चुका है। और इस ट्रायल में एक लकवाग्रस्त मरीज नोलन आर. वोग अपनी सोच से अब लेपटॉप पर ऑनलाइन चेस खेल पा रहा है। और उस मरीज ने अपनी सोच से ऑनलाइन चेस खेलकर दिखाया भी। इस मशीन को BCI ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस कहते हैं, जिसका उद्देश्य है इंसान और कंप्यूटर के बीच सीधा कम्युनिकेशन करना।
यह कैसे काम करता है।
Neuralink chip हमारे ब्रेन के न्यूरॉन से सीधे जुड़ती है, और ब्रेन में चलने वाली इलेक्ट्रिक एक्टिविटी सिग्नल को सीधे डिजिटल डेटा में बदल देती है। जिसे कंप्यूटर से देखा व observe किया जा सकता है। इससे न केवल मस्तिष्क के रोगों का इलाज हो सकेगा । बल्कि भविष्य में यह टेक्नोलॉजी हमारे सोचने और समझने की भी क्षमता को बढ़ा सकती है Nueralink एक छोटा सा माइक्रो चीप है जिसे मस्तिष्क के अंदर न्यूरॉन के पास लगाया जाता है। और ये चीप न्यूरॉन के सिग्नल को कैप्चर करके डिजिटल रूप में बदल देती है। और फिर उस सिग्नल को मशीनों या कंप्यूटर में भेजती है। जिसे देख जा सकता है। इसी तकनीक से इंसान अपने दिमाग से मोबाइल, कंप्यूटर, और यहाँ तक कि रोबोट को भी कंट्रोल कर सकेगा।
Neuralink chip का उद्देश्य
एलन मस्क का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी का उद्देश्य सबसे पहले उन लोगो का मदद करना है, जो गंभीर दिमागी बीमारियों से जूझ रहे हैं। जैसे लकवा, याददाश्त की समस्या और दिमागी चोट । उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI के साथ इंसानो का तालमेल बैठाने में भी मदद करेगा। मस्क का मानना है कि AI और इंसानों की बीच सीधा संपर्क बनाया जा सकता है तो ऐसे में इंसान के क्षमताओ में बृद्धि हो सकता है। और लोग नई तरीकों से समस्याओ को आसानी से हल कर पाएंगे। ये nuaralink टेक्नोलॉजी इंसानी दिमाग और कंप्यूटर को सीधे जोड़ने का एक सीधा रास्ता है।उनका मानना है कि भविष्य में यह टेक्नोलॉजी इंसानो को मशीनों पीछे नही बल्कि आगे रखने में मदद करेगा। जो हमे भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से होने वाले खतरों से भी बचा सकती है।
Neuralink chip से मिलने वाले फायदे
- 1.Neuralink के साथ संभावनाओं का एक नया द्वार खुल रहा है
- 2. यह मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों जैसे पार्किंसन, अल्जाइमर, लकवा और अन्य दिमाग से जुड़ी बीमारियों को इलाज आसानी से किया जा सकता है।
- 3 दिमाग रूप बीमार व असक्षम व्यक्ति दिमाग से मशीनों और चीज़ों को कंट्रोल कर पायेंगे।
Neuralink chip से होने वाली चुनौती
हर बड़ी तकनीक के साथ मुश्किलें भी आती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित है। क्या हम अपने दिमाग के डेटा को पूरी तरह मशीनों पर छोड़ सकते हैं। और अगर इसका गलत इस्तेमाल हुआ तो नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है। क्योकि यह टेक्नोलॉजी दिमाग के डेटा को पढ़ने, समझने और कन्ट्रोल करने में सक्षम है। और यदि यह गलत हाथों में पड़ा तो यह निजी , और जरूरी, संवेदनशील जानकारी की चोरी , हमारी मस्तिष्क के विचारों और भावनाओं पर हस्तक्षेप कर सकता है यहाँ तक कि यह इन्सान के डिसीजन और कामों को भी प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा सायबर सुरक्षा का भी सवाल उठता है कि क्या इस तरह की टेक्नोलॉजी व डिवाइस को हैक होने से बचाया जा सकता है। जिनपर विचार करना भी बहुत जरूरी है।
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1.BCI का फुल फॉर्म क्या है?
Brain computer interface है।