आगे जानेंगे…
What is AI Ethics in Hindi : आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने वाले हैं जो शायद आपकी जिंदगी को, आपके भविष्य को और शायद पूरी इंसानियत के भविष्य को बदलने की ताकत रखता है। और वो है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की । AI की वो ताकत जो इंसानी भविष्य के लिए एक बहुत बड़े अवसर और तूफान दोनों के रूप में आ रहा है। जिसको लेकर AI Speclist ने हैरान कर देने वाली बातें कही है। आगे AI Ethics के बारे में जानते है विस्तार से…

जाने क्या है पूरी मामला ( What is AI Ethics in Hindi )
12 अप्रैल 2023 को Future Of Life Institute ने एक महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी किया। Polcy Making is the Pause । इस दस्तावेज में विश्व के शीर्ष AI शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने एडवांस AI सिस्टम्स के संभावित खतरों को उजागर किया। इस लेटर में कहा गया है कि कम से कम 6 महीने के लिए सबसे ताकतवर AI सिस्टम्स जैसे GPT 4 से भी ज्यादा एडवांस्ड AI बनाने पर रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि यह वहीं विशेषज्ञ है जो AI को अंदर से बाहर तक जानते हैं । जिसमें दुनिया के बड़े-बड़े AI वैज्ञानिक, CEO , रिसर्चर और Profeser शामिल हैं। वह खुद कह रहे हैं कि हम एक ऐसी चीज बना रहे हैं। जिसे हम पूरी तरह समझते भी नहीं है। और जिसे हम शायद कंट्रोल भी ना कर पाएं।
इस लेटर में साथ में वह लेटर भी है जिसमें ELON Musk , स्टीव वॉजनियाक, TOM Grover, Max Denmark सहित तकनीक के और भी दिग्गजों के हस्ताक्षर है । यह लेटर जिसमें AI को 6 माह के लिए विराम लगाने को कहा गया है। AI सिस्टम्स पहले से ही गलत सूचना और फेक मीडिया को इतनी कुशलता से बना रहे हैं। कि असली और नकली में फर्क करना आज बहुत मुश्किल हो गया है।
AI के संभावित खतरे और क्यों जरूरी है Artificial Intelligence ethics
1.Deepfake और Fake News का आतंक
कल्पना करो कोई आपकी आवाज को कॉपी करके आपके दोस्तों और परिवार से पैसे मांग सकता है। यह कोई साइंस फिक्शन नहीं बल्कि आज की हकीकत है। सोचिए AI आज क्या कुछ नहीं कर सकता। वो आपके लिए खूबसूरत तस्वीरें बना सकता है। कविताएं लिख सकता है। आपके सवालों के जवाब दे सकता है। लेकिन यही AI पलक झपकते ही इतनी असली दिखने वाली नकली खबरें, वीडियो, डीप फेक्स बना सकता है कि आपको सच और झूठ का फर्क करना मुश्किल हो जाए। चुनाव प्रभावित हो सकते हैं। दंगे भड़क सकते हैं। किसी की भी इज्जत मिट्टी में मिल सकती है।
2. भेदभाव पूर्ण निर्णय
यह AI सिस्टम्स जिस डाटा पर ट्रेन होते हैं, अगर उस डाटा में ही इंसानी भेदभाव है, तो AI भी भेदभाव करना सीख जाता है। नौकरी देने में, लोन देने में, यहां तक कि अपराधियों को पहचानने में भी यह गंभीर गलतियां कर सकता है। और इसका सबसे ज्यादा असर समाज के कमजोर तबकों पर पड़ेगा। AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम है जो पुराने डाटा देखकर सीखता है और उसी के आधार पर फैसले लेता है।
उदाहरण
सोचिए अगर किसी बच्चे को गलत बातें सिखाई जाए तो वह भी वही दोहराएगा। है ना? ठीक वैसे ही AI भी वही सीखता है जो उसे सिखाया जाता है। अगर सिखाने वाले डाटा में भेदभाव है तो AI ई भी पक्षपात करेगा।

3.नौकरियों पर संकट
मान लीजिए एक कंपनी ने पिछले साल का इंटरव्यू डाटा AI को सिखाने के लिए दिया। अगर उन सालों में कंपनी ने ज्यादातर लड़कों को नौकरी दी और लड़कियों को कम चुना तो AI भी यही सीखेगा कि लड़कों को चुनना ही सही है। भले ही कोई लड़की ज्यादा काबिल हो, ज्यादा पढ़ी लिखी हो या ज्यादा अनुभव वाली हो, AI उसे नजरअंदाज कर सकता है।
नतीजा AI एक होशियार और मेहनती लड़की का रिज्यूमे रिजेक्ट कर देगा। सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने पुराने भेदभाव वाला डाटा पढ़ा था।
4. ऑनलाइन विज्ञापन में पक्षपात
ऑनलाइन शॉपिंग या विज्ञापनों में भी पक्षपात AI यह तय करता है कि किसको कौन सा विज्ञापन दिखे। अगर वह मानता है कि कोई लड़की सिर्फ रसोई या कपड़े की चीजों में ही रुचि रखती है तो उसे विज्ञान, टेक्नोलॉजी, बिजनेस जैसी चीजों के विज्ञापन दिखेंगे ही नहीं। इससे उनकी पसंद सीमित कर दी जाती है और वे नई चीजों को जानने का मौका खो बैठती हैं। जैसे-जैसे यह AI और ज्यादा ताकतवर होंगे, खतरे और भी बड़े होते जाएंगे। लेकिन जब AI बनाने वाले खुद यह चिंता जता रहे हैं तो हमें इसे गंभीरता से लेना होगा।

Future of Life Institute के सुझाव
Future Of Life Institute ने कुछ ठोस सुझाव दिए हैं। जैसे Third Party Auditing and Certification, जांच पड़ताल और Certification में जैसे दवाइयां या गाड़ियां बाजार में आने से पहले टेस्ट होती हैं। वैसे ही खतरनाक AI सिस्टम्स को भी लॉन्च करने से पहले Indipendent Expert को सिर्फ कंपनी के कहने पर भरोसा नहीं कर लेना चाहिए इसकी भी टेस्ट हो और कमेटी द्वारा सत्यापित कर पास होने दिया जाए ।
राष्ट्रीय सुरक्षा और जिम्मेदारी का सवाल
जैसे-जैसे AI और ताकतवर हो रहा है, यह प्रश्न जरूरी हो जाता है
अगर AI की वजह से शेयर मार्केट क्रैश हो जाए, कोई एक्सीडेंट हो जाए, या संवेदनशील डाटा लीक हो जाए – तो जिम्मेदार कौन होगा?
सरकार को इस पर नजर रखनी चाहिए। हर देश में एक जिम्मेदार AI एजेंसी होनी चाहिए । जो AI के विकास पर नजर रखे, नियम बनाए और उन्हें लागू करें। जैसे SEBI शेयर मार्केट पर अपनी नज़र रखती है। और TRAI टेलीकॉम सेक्टर अपनी निगरानी रखती है। ठीक उसी प्रकार AI के लिए जिम्मेदार और देखभाल एजेंसी का गठन होना चाहिए । इसके लिए कड़े कानून बनने चाहिए। साथ ही AI मॉडल लीक को रोकना। क्योंकि AI मॉडल अगर गलत हाथों में पड़ जाएं तो उनका दुरुपयोग हो सकता है। कंपनियों को इन्हें सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम करने होंगे और लीक होने पर ट्रैक करने के तरीके भी। AI सुरक्षा रिसर्च के लिए फंड बढ़ाना, AI को ताकतवर बनाने के साथ-साथ उसे सुरक्षित और इंसानी मूल्यों के हिसाब से चलाने, अलाइनमेंट पर भी रिसर्च होनी चाहिए। इसके लिए सरकारों को ज्यादा पैसा देना होगा। AI Genereted Contant पर वाटरमार्किंग या डिस्क्लोज़र अनिवार्य होना चाहिए। यानी हमें साफ पता चलना चाहिए कि AI Genereted Contant है। या इंसानों द्वारा बनाया गया।

निष्कर्ष : What is AI Ethics in Hindi
टेक्नोलॉजी की इस दौर में यह वक्त हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का नहीं है। टेक्नोलॉजी एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह भाग रही है और हमारे नियम कानून, हमारी समझ बैलगाड़ी की रफ्तार से चल रही है। अगर हमने अभी ध्यान नहीं दिया तो बहुत देर हो जाएगी। यह सिर्फ सरकार या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। जागरूक बनिए। सवाल पूछिए। AI पर आवाज उठाइए। AI में हमारी जिंदगी बेहतर बनाने की अपार क्षमता है। लेकिन किसी भी शक्तिशाली चीज की गलत इस्तेमाल के नतीजे भयानक हो सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि AI का विकास मानवता की भलाई के लिए हो ना कि उसकी बर्बादी के लिए। इस रिपोर्ट और इन सुझावों पर आपके क्या विचार हैं? नीचे कमेंट्स में हमें जरूर बताएं। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि यह जरूरी संदेश सब तक पहुंचे।
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