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Teleportation in hindi : आज हम यात्रा के एक ऐसे तरीके पर बात करने वाले हैं , जिसकी मदद से हम इंसान कुछ सेकंड्स के अंदर ही एक देश से दूसरे देश या फिर एक ग्रह से दूसरे ग्रह भी जा सकते हैं। वैसे आपको यकीन नहीं हो रहा होगा । लेकिन इस तरीके का नाम है Teleportation Technology। वैसे अभी तक वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि Teleportation आखिर कैसे किया जा सकता है। लेकिन हमारे विज्ञान में ऐसी कई थ्योरी और कांसेप्ट मौजूद हैं जो Teleportation Technology के बारे में बताते हैं। और कई वैज्ञानिकों का कहना है कि शायद हम टाइप टू सिविलाइजेशन बनने के बाद टेलीपोटेशन जैसी टेक्नोलॉजी को भी हासिल कर लेंगे। और उस समय हम इंसान इतना एडवांस हो जाएंगे। कि हमारे लिए एक ग्रह से दूसरे ग्रह या फिर यूनिवर्स के किनारे से दूसरे किनारे तक जाना भी कुछ सेकंड्स की ही बात होगी। पर इसी के साथ-साथ कई वैज्ञानिक इसके गंभीर परिणामों के बारे में भी बात करते हैं जो टेलीपोटेशन की आविष्कार होने के बाद इंसानों को झेलने पड़ सकते हैं। आज की इस पोस्ट में हम यह जानेंगे कि आखिर क्यों टेलीपोटेशन हमारे लिए सबसे बुरा टॉर्चर बन सकता है। टेलीपोटेशन के बारे में आपने कहीं ना कहीं जरूर सुना होगा या फिर ऐसा ही कुछ साइंस फिक्शन फिल्मों में तो जरूर देखा ही होगा।

Teleportation Technology क्या है।
Teleportation को एक तरह की सुपर पावर माना जाता है। जिसके द्वारा इंसान एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है जिसमें उसे इन दोनों जगहों के बीच के स्पेस में ट्रैवल करने की जरूरत नहीं होती। साल 2005 में फिजिक्स टुडे नाम के एक मैगजीन में एक फिजिसिस्ट ऐश परीस का एक जवाब पब्लिश किया गया था। जब किसी जर्नलिस्ट ने उन्हें पूछा था कि क्या टेलीपोटेशन किसी इंसान के शरीर के साथ उसकी आत्मा को भी टेलीपोट कर सकता है या नहीं। इसके जवाब में ऐश ने कहा था कि टेलीपोटेशन के द्वारा एक इंसान की आत्मा को ही टेलीपोट किया जा सकता है। और आपने भी ऐसा कुछ आध्यात्मिक शो में भी देखा ही होगा जहां पर देवी देवता एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी दिव्य शक्तियों के द्वारा पहुंच जाते हैं। या फिर किस प्रकार किसी इंसान की आत्मा एक लोक से दूसरे लोक की ओर जाती है। यह भी कुछ हद तक टेलीपोटेशन का ही एक उदाहरण है।
Teleportation खतरनाक हो सकती है।
आज तक टेलीपोटेशन के बारे में हमने केवल कहानियों में, फिल्मों में और टीवी में ही देखा है। और आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि असल जिंदगी में यह टेलीपोटेशन इतनी आसान नहीं हो सकती । बल्कि काफी खतरनाक साबित हो सकती है। यहां तक कि यह जानलेवा भी साबित हो सकती है या फिर शायद उससे भी बुरा और ऐसा क्यों है? इसे समझने के लिए सबसे पहले हमारा यह जानना बहुत ही जरूरी है कि टेलीपोटेशन बिल्कुल भी आसान नहीं है। क्योंकि एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए हमें काफी बातों का ध्यान रखना होगा।
उदाहरण मान लीजिए कि आज आपको किसी प्रकार टेलीपोटेशन जैसी सुपर पावर मिल गई और आप अपनी इन्हीं सुपर पावर का इस्तेमाल करके धरती के उन जगहों पर घूमना चाहते हैं जिन्हें आपने पहले कभी नहीं देखा। मान लीजिए कि आप अपनी इस सुपर पावर का इस्तेमाल करके भारत के बाहर दूर किसी देश में जाना चाहते हैं। लेकिन यदि आपने सही से लोकेशन की कैलकुलेशन नहीं की तो फिर आप जरूर ही किसी अलग ही जगह पर पहुंच जाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी धरती हर समय घूम रही होती है। ना केवल हमारी धरती अपने एक्सिस पर रोटेट कर रही होती है बल्कि साथ में यह सूर्य का भी चक्कर लगाती है जिसे हम रिवॉल्यूशन कहते हैं।

Teleportation Technology का इस्तेमाल इतना मुश्किल क्यों है।
यदि आपको टेलीपोटेशन के इस्तेमाल से किसी दूसरे स्थान पर जाना हो । तब आपको केवल उस स्थान के बारे में ही नहीं सोचना होगा। बल्कि इसके साथ-साथ आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि जब तक आप उस स्थान पर पहुंचेंगे। तब पृथ्वी कितने डिग्री पर घूम रही होगी या फिर वह अपनी रिवॉल्यूशन में कितनी आगे बढ़ चुकी होगी और ऐसा इसलिए भी जरूरी है। क्योंकि हमारी पृथ्वी कई किलोमीटर की स्पीड पर काफी तेजी से घूम रही होती है। 1 सेकंड में ही हमारी पृथ्वी 30 किलोमीटर की स्पीड से चल रही होती है। अब आप ही सोचिए यदि आपको टेलीपोटेशन करने में 1 सेकंड भी लगा तब भी आप अपने सोचे गए स्थान से 30 कि.मी. दूर ही पहुंचेंगे। इसलिए यह जरूरी है । कि टेलीपोटेशन के द्वारा लोकेशन का भी खास ध्यान रखा जाए और ना केवल पृथ्वी की रिवॉल्यूशन बल्कि उसकी रोटेशन का भी खास ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि हमारी पृथ्वी जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया अपनी एक्सिस पर भी काफी तेजी से घूम रही होती है और इसलिए यदि टेलीपोटेशन के दौरान आपको सही लोकेशन तक पहुंचना है । तब उसके लिए सुपर कंप्यूटरटर्स का इस्तेमाल करना भी जरूरी हो जाएगा। अब आप यह तो समझ ही गए होंगे कि क्यों टेलीपोटेशन इतना आसान नहीं है।

यह इतना खतरनाक क्यों है?
चलिए अब इसे भी जानते हैं। टेलीपोटेशन ट्रैवल करने का एक काफी फास्ट तरीका है। लेकिन यह इतना तेज है कि यदि आप किसी दूसरी जगह पर पहुंच भी गए तब आपकी स्पीड इतनी होगी कि आपको गहरी चोट भी लग सकती है। इसलिए सबसे पहले तो इस स्पीड को ही धीमा करने के बारे में सोचना जरूरी है। साथ ही आपने फिल्मों में भी कुछ ऐसा जरूर देखा होगा जहां पर टेलीपोटेशन करने के लिए एक ऐसा तरीका भी ढूंढा जाता है। जहां स्पेशल गेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। यानी कि यह एक तरह का एनीवेयर गेट ही होते हैं। लेकिन यह पोर्टल्स की फॉर्म में मौजूद होते हैं। और ऐसा ही कुछ साल 1935 में मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने साबित किया था कि असल जिंदगी में भी इंटरडाइमेंशनल ट्रैवल संभव हो सकता है। उनके हिसाब से ऐसा वार्म होल्स में देखने को मिल सकता है जो एक दुनिया को दूसरी दुनिया से जोड़कर रखती है। लेकिन आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यह कितना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि कोई व्यक्ति इन वार्म होल्स में एंटर करेगा तो वह एक एटॉमिक वम की तरह एक्सप्ललोड हो जाएगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी। अब आप यह अनुमान लगा लीजिए कि किस प्रकार यह हमारी कल्पना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पर ग्रेविटेशनल फोर्स इतना ज्यादा स्ट्रांग होता है कि हम इंसानों का शरीर उसे नहीं झेल सकता। ऐसे में हमारा शरीर ताकतवर ग्रेविटेशनल इन्फ्लुएंस में धूल की तरह बिखर जाएगा और जैसा कि हमने आपको बताया वह एक्सप्लूड हो जाएगा। क्योंकि इतने तेज ग्रेविटेशनल इन्फ्लुएंस में हमारे शरीर का एक-एक एटम तेज खिंचाव के कारण हमारे शरीर से अलग होता जाएगा और हमारा शरीर नष्ट हो जाएगा। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि इन वार्म वुल्स में समय भी काफी धीमी गति से चलता है। इसलिए यदि कोई इंसान इनमें जिंदा भी रहा तब भी उसे ऐसा लगेगा जैसे वह अपनी मंजिल तक कभी नहीं पहुंच पाएगा। इसके अलावा हमारे साइंस फिक्शन में टेलीपोटेशन का एक और तरीका भी दिया गया है। जिसमें इस
तरह के वार्म होल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसे टेलीपोट ट्रांसमिटर्स कहा जाता है। इस टेक्नोलॉजी में यह ट्रांसमीटर्स टेलीपोटेशन के दौरान इंसान के शरीर को पूरी तरह से पहले तो नष्ट करते हैं और फिर जब वे अपने निर्धारित स्थान तक पहुंच जाते हैं तो वहां पर उस इंसान के शरीर को वापस पहले जैसा असेंबल कर देते हैं। लेकिन यह तरीका भी काफी खतरनाक है क्योंकि इसमें एक तरह से इंसान के शरीर की मृत्यु ही होती है
उदाहरण मान लीजिए यदि यह ट्रांसमीटर वापस उस इंसान के शरीर को रिकंस्ट्रक्ट नहीं कर पाए या फिर एक छोटी सी भी गलती हो गई तो फिर वह इंसान या तो मर जाएगा या वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठेगा। ऐसा भी हो सकता है कि वह कोई अलग इंसान का ही रूप ले ले। आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि हमारे शरीर में लगभग सेवन ऑक्टेलियन एटम्स मौजूद होते हैं और यदि इनमें से एक भी एटम सही से असेंबल नहीं हुआ तो फिर इसका क्या परिणाम होगा यह आप अनुमान भी नहीं लगा सकते। इसे समझने के लिए आप जानवरों और पौधों का ही उदाहरण ले लीजिए। हर एक ऑब्जेक्ट या जीव में एक फिक्स्ड एटॉमिक स्ट्रक्चर मौजूद होता है। उसी प्रकार पौधों में और जानवरों में भी एक फिक्स्ड एटॉमिक स्ट्रक्चर मौजूद है। और आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यदि हम इस एटॉमिक स्ट्रक्चर को बदल दें तो हम एक जानवर को पौधा भी बना सकते हैं और एक पौधे को जानवर भी बना सकते हैं। सुनने में काफी जादुई लगता है। लेकिन यह कहीं ना कहीं सच है। आप हमारे पूरे ब्रह्मांड को देख सकते हैं। जब हमारे ब्रह्मांड का जन्म हुआ था तब हमारे ब्रह्मांड में सबसे पहले केवल हाइड्रोजन की ही उत्पत्ति हुई थी। जिससे बाद में दूसरे हैवी एलिमेंट्स का निर्माण हुआ। बाद में समय-समय पर इन्हीं एलिमेंट से सितारे, ग्रह और गैलेक्सियों का निर्माण हुआ और इन्हीं गैलेक्सी में से हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के एक सोलर सिस्टम के एक प्लनेट पृथ्वी पर हम इंसान जन्मे हैं और हम इंसानों का जन्म भी उन्हीं एटम से हुआ है। अब आप समझ पा रहे होंगे कि कैसे एक एटम समय-समय पर कितने रूप बदलता है। ऐसे में अगर टेलीपोटेशन के दौरान वैज्ञानिकों से एक छोटी सी भी गलती हुई और हमारे शरीर के एटॉमिक स्ट्रक्चर में कोई बदलाव आता है।

Teleportation Technology निष्कर्ष
Teleportation in hindi आज के समय में क्वांटम टेलीपोर्टेशन अब कोई कल्पना नहीं रही है। दरअसल इस प्रकार की Teleportation में इंसानों को एक जगह से दूसरी जगह नहीं भेजा जाता बल्कि इसमें इंफॉर्मेशन को एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन तक जरूर भेजा जा सकता है। साथ ही इस तरीके के द्वारा क्वांटम कम्युनिकेशन भी की जा सकती है। यानी कि काफी दूर-दूर तक भी किसी इंफॉर्मेशन को भेजा जा सकता है। लेकिन आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि ऐसा तो हम हमारे स्मार्टफोन की मदद से भी कर सकते हैं। तो फिर आखिर इसमें क्वांटम टेलीपोर्टेशन की क्या जरूरत है? तो यहां पर आपका यह जानना भी जरूरी है कि PRX क्वांटम में एक पेपर पब्लिश किया गया था जिसमें यह लिखा गया था कि क्वांटम कम्युनिकेशन स्पीड ऑफ लाइट से भी ज्यादा तेजी से की जा सकती है और ना केवल यह धरती में दूर-दूर तक इंफॉर्मेशन पहुंचा सकती है बल्कि यह हमारे अंतरिक्ष में भी कई लाइट ईयर की दूरी तक भी इंफॉर्मेशन को पहुंचा सकती है और यही कारण है कि क्यों क्वांटम टेलीपोर्टेशन को इतनी विशेषता दी जाती है।
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1. Teleportation Technology क्या है।
इसके जरिए एक पदार्थ या कण या व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा सकता है।
2. क्या टेलीपोर्टेशन संभव है।
बिल्कुल
3. क्या टेलीपोर्टेशन के साथ कम्युनिकेशन भी किया जा सकता हैं
बिल्कुल क्वांटम कम्युनिकेशन के जरिए यह संभव है।