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Neuromorphic computers

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कैसे Neuromorphic computers मानव मस्तिष्क की नकल करते हैं?”

यह तो आप बहुत अच्छे से जानते हैं कि हमारा दिमाग यानी human brain कितना तेज औऱ कितना एडवांस है आज हम इसी के बदौलत ही हम अपनी हर काम इतनी आसानी से और अच्छे तरीके से कर पाते हैं। इसके जरिए हम सीखते हैं याद करते हैं और नई-नई चीज़ों को एक्सपेरिएंस कर पाते हैं , इस ब्रेन में लगभग 100 Billion न्यूरॉन है जो एक दूसरे से आपस मे जुड़े हुए हैं और यह न्यूरॉन मिलकर के बड़ी बड़ी मुश्किलों हल कर पाते हैं, और हमारा व्यवहार को कंट्रोल करते हैं इसलिए साइंटिस्ट लगातार नई नई रिसर्च करके एक ऐसा आर्टिफिशियल ब्रेन ( कंप्यूटर दिमाग ) बनाने पर लगे हुए हैं , जो हम इंसानो के दिमाग जितना तेज और एडवांस हो । ताकी आज की इस डिजिटल दुनिया मे अपने आप हम AI के साथ और अच्छे से बिस्तार कर सके । और उनका फायदा ले सके। इस ब्लॉग में हम इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे । यह क्या है और कैसे काम करता है।

Neuromorphic computers

सबसे पहले हम समझते है-

Nuromorphic computers क्या होता है।?

यह एक ऐसा कंप्यूटर हैं, जो हमारे इंसानी दिमाग की तरह काम करने की कोशिश करते हैं हमारे दिमाग मे पाये जाने वाले न्यूरॉन्स की ही तरह इनमें भी छोटी-छोटी यूनिट्स होती हैं जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन कहा जाता हैं यह न्यूरॉन हमारे ब्रेन के न्यूरॉन की तरह ही आपस में एक दूसरे से जुड़े होते हैं और मिलकर के काम करते हैं। इसे ही Neuromorphic computers कहते हैं। यह एक उभरता हुआ और अत्यधिक रोचक व उपयोगी क्षेत्र है ।

Nuromorphic computers क्यो बनाये जा रहे हैं।

ऐसे कंप्यूटर की जरूरत क्यों महसूस की गई, जो हमारे ब्रेन की तरह काम करता हो। तो इसे समझने के लिए हमें ट्रेडिशनल कंप्यूटर और न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर के बीच के अंतर को जानना होगा । ट्रेडिशनल कंप्यूटर एक बार में एक ही काम कर सकता हैं यह कैलकुलेटर की तरह काम करते हैं और हमारे द्वारा दिये गए आदेश या instruction को यह step by step फॉलो करता हैं और यह कंप्यूटर संख्या और गणना करने में यह काफी अच्छे होते हैं लेकिन फ़ोटो,या इमेज को समझने में और इंसानों से बात करने में यह इतने अच्छे नहीं होते है। जितने न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर होते हैं जो इंसानी दिमाग की तरह कई काम एक साथ कर सकता हैं , यह नुरोमोरफिक कंप्यूटर पैटर्न को पहचानने में और उससे सीखने में यह जबरदस्त होते हैं और लैंग्वेज और देखी हुई चीजों को आसानी से समझ सकते हैं बिल्कुल हम इंसानो की दिमाग़ की तरह की यह कंप्यूटर तेज व एडवांस होते हैं। यह कंप्यूटर इंसानी दिमाग की नकल करने में बहुत ही आगे है।

Nuromorphic computer के उपयोग

यह कंप्यूटर आने वाले समय में बिना ड्राइवर के कार ड्राइव कर सकते हैं और डॉक्टर्स को बीमारियों का पता लगाने में भी मदद कर सकते हैं , इनके इसी एडवांस स्पीड और स्मार्टनेस की वजह से इन्हें बहुत उपयोगी और प्रभावी  माना जा रहा है और समय के साथ  इनकी जरूरत लगातार बढ़ रही है।  यह भी सच है कि ट्रेडिशनल कंप्यूटर्स बहुत सारे क्षेत्र में उपयोग होते हैं , लेकिन AI , रोबोटिक्स और न्यूरो साइंस जैसे क्षेत्र में काम करने के लिए तो Neuromorphic computers की ही जरूरत होती है।

अब न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर को और बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण हैं

मान लीजिए आप एक तस्वीर में बिल्ली को पहचानना चाहते हैं आप एक तस्वीर देखते हैं और तुरंत कह देते हैं, कि यह एक बिल्ली है लेकिन आपका दिमाग ये कैसे करता है, तो इसके लिए आपका दिमाग पहले इस तस्वीर को छोटे-छोटे टुकड़ों में यानी पिक्सेल में तोड़ देता है जैसे कि बिल्ली के आंखें नाक कान पूंछ आदि। फिर इन टुकड़ों का तुलना अपने दिमाग में पहले से मौजूद बिल्ली की तस्वीर से करता है अगर ज्यादातर टुकड़े मेल खाते हैं तो आपका दिमाग डिसाइड कर लेता है कि यह एक बिल्ली है ठीक इसी तरह न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर काम करता है लेकिन एक कंप्यूटर लैंग्वेज में इसके लिए डाटा इनपुट किया जाता है यानी इस कंप्यूटर को तस्वीर दी जाती है इसके बाद तस्वीर के अलग-अलग हिस्सों को देखकर कंप्यूटर के अंदर के आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स एक्टिव होते हैं और उनके बीच के कनेक्शन यानी सिनेप्स की स्ट्रेंथ चेंज होती है अगर कोई न्यूरॉन बार-बार एक साथ एक्टिव होता है तो उसके बीच का सिनेप्स मजबूत हो जाता है इन एक्टिव न्यूरॉन्स के सक्रियता देखकर यह न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर यह डिसाइड करता है कि यह एक बिल्ली की तस्वीर है, पैटर्न एक बिल्ली के पैटर्न से मेल खाता है तो कंप्यूटर कहता है कि यह बिल्ली है और इस तरह न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर भी हमारे ब्रेन की ही तरह पैटर्स को पहचान लेता है

इसे एक और एग्जांपल से समझते हैं

मान लीजिए कि आप एक वाक्य को इंग्लिश से हिंदी में ट्रांसलेट करना चाहते हैं इसके लिए न्यूरो मर्फी कंप्यूटर इंग्लिश वर्ड्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देगा और फिर इन टुकड़ों का हिंदी शब्दों से मिलान कर देगा यह कंप्यूटर एक बड़े डेटाबेस का उपयोग करता है जिसमें इंग्लिश और हिंदी वर्ड्स के बीच के रिलेशन होते हैं और इसकी मदद से आप लैंग्वेज ट्रांसलेशन कर पाते हैं।

Nuromorphic computer का भविष्य

Neuromorphic computers जिस तेजी से यह टेक्नोलॉजी आज विकसित हो रही है आने वाले भविष्य में हम और भी ज्यादा पावरफुल और फ्लेक्सिबल Neuromorphic computers देख पाएंगे । जो ऑटोनोमस कर या सेल्फ ड्राइविंग कार को चलाने वाले ड्राइवर के तौर पर नजर आएंगे और रोबोटिक्स के फील्ड में लोगों के साथ इंटरेक्ट करते हुए देख सकते हैं। न्यूरो Neuromorphic computers MRI और CT scane का एनालिसिस करके बीमारियों का बहुत ही तेजी से और एक्यूरेसी से पता लगा लेंगे और साथ ही नई नई दवाई बनाने में भी काफी मदद करेंगे । इनके अलावा यह कंप्यूटर्स एजुकेशन और प्रोडक्शन फाइनेंस और सिक्योरिटी जैसे बहुत से क्षेत्र में नजर आएंगे ।

Nuromorphic computer के प्रकार

1.स्पाइक बेस्ड Neuromorphic computers
इनमें से 1.स्पाइक बेस्ड Neuromorphic computers हमारे दिमाग के न्यूरॉन्स की तरह काम करते हैं जो स्पाइक्स यानी इलेक्ट्रिकल इंपल्सेस के जरिए आपस में इंफॉर्मेशन को ट्रांसफर करते हैं जब एक न्यूरॉन उत्तेजित होता है तो वह एक स्पाइक पैदा करता है जो दूसरे न्यूरॉन्स को भेजा जाता है यह स्पाइक्स ही वह लैंग्वेज है जिसमें हमारा ब्रेन सोचता है सीखता है और याद रखता है

2.हाइब्रिड Neuromorphic computers
यह Neuromorphic computers न्यूरॉन्स की फायरिंग रेट यानी एक निश्चित समय में न्यूरॉन्स के द्वारा भेजे गए स्पाइक्स की संख्या पर बेस्ड होते हैं स्पाइक बेस्ड कंप्यूटर मॉडल के तुलना में यह मॉडल समझने और लागू करने में काफी आसान होते हैं और कुछ मामलों में तो ये ज्यादा एफिशिएंट भी हो सकते हैं ।
HRL लेबोरेटरीज का न्यूरो ग्रिड इसका एग्जांपल है और हाइब्रिड न्यूरो मॉर्फिक कंप्यूटर स्पाइक बेस्ड और रेट बेस्ड कंप्यूटिंग को मिला कर के काम करते हैं इसलिए ये ज्यादा पावरफुल और फ्लेक्सिबल होते हैं आईबीएम का सिनेप्स इसी तरह का न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर है

Neuromorphic computers इंसानी दिमाग का नकल दो तरीके से करते हैं-

एनालॉग Neuromorphic computers
यह ह्यूमन ब्रेन की नकल करने की कोशिश करते हैं बिल्कुल जैसे किसी पेंटिंग की नकल की जाए यह कंप्यूटर न्यूरॉन्स के बीच सिग्नल प्लास्टिसिटी और अदर बायोलॉजिकल प्रोसेसेस की नकल करने की कोशिश करते हैं इन्हें डिजाइन करना बहुत ही मुश्किल होता है ।

डिजिटल Neuromorphic computers
यह इंसानी दिमाग की तरह काम करने के लिए एक ब्लूप्रिंट का यूज़ करते हैं जैसे किसी बिल्डिंग का ब्लूप्रिंट होता है वैसे यह ज्यादा एक्यूरेट होते हैं लेकिन एनालॉग कंप्यूटर्स जितने बायोलॉजिकल नहीं होते यह भी पॉसिबल है कि फ्यूचर में हम इन दोनों प्रकार के न्यूरोमोरफिक कंप्यूटर्स को एक साथ काम करते हुए देख सकते हैं। यह यह सुनकर शायद आप उत्साहित गए हो और सोच रहे हो कि यह नई टेक्नोलॉजी तो बहुत ही कमाल की है

Nuromorphic computers की इतिहास

Neuromorphic computers बनाने का विचार बहुत ही पुराना है जो 1980 के दशक में न्यूरोसाइंटिस्ट ने हमारे दिमाग के बारे में और ज्यादा जानना शुरू किया और यह समझा कि इंसानी दिमाग किस प्रकार से काम करता है, कैसे सोचता है ,कैसे सीखता है और चीजो को  याद कैसे रखता है । दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स और सिनेप्स को देखकर उन्होंने सोचा कि अगर हम कंप्यूटर्स को भी इसी तरह बनाएं तो वह कंप्यूटर भी हमारे दिमाग की ही तरह सोच सकते हैं , चीजो को याद कर सकते हैं, और उनसे सीख सकते हैं। और हमारे लिए बहुत मदद कर सकते हैं इसी विचार विचार से शुरुआत हुई आज Neuromorphic computers जो आज के समय मे अपनी शुरुआती फेज में है इसलिए ज्यादातर कंप्यूटर्स लैब्स में ही है यह ऐसा है जैसे आपने एक नई तरह की कार बनाई हो लेकिन आपने उसे अभी तक सिर्फ अपनी फैक्ट्री में ही चलाया है आपने उसे अभी सड़क पर नहीं चलाया है इनका डेवलपमेंट बहुत ही तेजी से हो रहा है और इन्हें बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है, हालांकि आज AI और मशीन लर्निंग जैसे कुछ क्षेत्र में इनका इस्तेमाल होना शुरू हो गया है।

अंतिम निष्कर्ष

इस तरह आपने यह जान ही लिया कि Neuromorphic computers क्या होते हैं यह किस तरह हमारी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं लेकिन इसके साथ-साथ आपको एक और बात आज याद रखने की जरूरत है, कि इंसानी दिमाग जैसा कोई नहीं है। हमारे दिमाग की वाकई में जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है।

इस ब्लॉग के। Neuromorphic computers बारे में आपकी क्या राय है आप क्या सोचते हैं फ्यूचर के बारे में आपका क्या कहना है कृपया इस ब्लॉग को भी शेयर करना है सबसे इंपॉर्टेंट बात अमेजिंग जानकारियां आपको समय-समय पर मिलती रहे तब तक के लिए मैं आपसे कहूँगा हमेशा अपने आप को अपडेट रखें ग्रो करते रहे High Tech news के साथ

जाने quantum chip क्या है ?

1.Neuromorphic computers के उदाहरण क्या है

IBM TrueNorth और Intel Loihi। है।

2.Neuromorphic computers की शुरुआत कब हुई है।

1980 में कार्वर मीड के द्वारा

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krishna Singh
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KRISHNA SINGH HighTechNews.in के संस्थापक हैं, जो Technology, AI, Gadgets, Cyber Security, Online Eerning,JOB और Digital दुनिया की ताज़ा खबरों से आपको अवगत कराता है। टेक्नोलॉजी के प्रति गहरी रुचि और अनुभव के साथ, Krishna का उद्देश्य पाठकों को डिजिटल युग में होने वाली हर महत्वपूर्ण घटना से जोड़े रखना है। उनकी लेखनी के जरिए आप पाएंगे तकनीकी दुनिया की हर नई और रोचक जानकारी, जो आपको स्मार्ट और अपडेटेड बनाए रखे।
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